राजनिती की बुनीयाद धर्म पर आधारीत है। -भगवताचार्य श्री मनोहर प्रसाद शास्त्री

चिखली, बुलढाणा (प्रतिनिधि)- राजनितीकी, बुनीयाद धर्म पर आधारीत है वस्तुत: राजनिती का उगम धर्म सें हुवा है। जब धर्म पर राजशाही का हमला होता है फिर राजनिती खतम हो जाती है। इसीकारण भारत की, चारो दिशामें धर्मपिठ धर्म की रक्षा के लिये खडे है।
चिखली जिले के बुलढाणा में 8 अगस्त से 16 अगस्त तक भागवताचार्य श्री मनोहर प्रसाद शास्त्री के मुखारविंद से श्रीमत भागवत महापुराण की कथा लोगों को सुनने को मिली। कथा का आयोजन चिखली के कैलासजी नारायणजी पांडे, राजेशजी नारायणजी पांडे और उनके पुत्र नितिन और गोपाल ने किया। अधिक मास में भागवत कथा सुनने का महत्व है। यह भगवान श्री वेदव्यास द्वारा रचित अष्टम्पुराण है। श्रीमद्भागवत कथा में संपूर्ण वेदों का सार समाहित है। इस महापुराण में 12 स्कन्द हैं। यह महापुराण कुल 18 हजार श्लोकों से परिपूर्ण है। आज का जीवन उन घटनाओं से किस प्रकार जुड़ता है। आचार्य श्री मनोहर शास्त्री ने इसकी सुन्दर व्याख्या की।
आज के इस तेज रफ्तार युग में धन बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन ढेर सारा धन इकट्ठा करने की बजाय यदि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें तो वह धन धन से भी बढ़कर है। जब घर में बड़ों का आशीर्वाद मिलता है तो जीवन की सुंदरता देखते ही बनती है। यह बात बताते हुए आचार्य श्री मनोहरजी शास्त्री ने रामायण के बाद महाभारत काल में घटी घटना बताई। जामुवंतजी के आशीर्वाद से हनुमानजी बड़े हुअॆ। इसे खूबसूरती से समझाया. सभी परिवार एक साथ रहते हैं. इसके संयोजन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसलिए शास्त्री जी ने कहा कि कम से कम सभी परिवारों को शाम का भोजन एक साथ बैठकर खाना चाहिए. शास्त्रीजी ने हमें कई चीजों से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि हम जैसा भोजन करेंगे और हमारे विचार, जैसा पानी पीएंगे वैसेही होंगे। उन्होंने कहा कि जीवन में परिवार खुश रहेगा तो सब कुछ खुश रहेगा। उन्होंने बताया कि भारतवर्ष में कई परिवार 250 से 300 की संख्या में एकही घर रहते है। उस घर में हर दिन 80 किलो आटे की, रोटीया बनानी पडती है। हर परिवार का काम बांट दिया गया है और उसके बाद यह घर सुचारू रुपसे चलता रहता है।


भगवद गीता का अध्ययन, अध्यापन और शोध विदेशों में किया जाता है। लेकिन उन्होंने दुख व्यक्त किया कि उनके अपने बच्चे, युवा, युवतियां भगवद गीता नहीं जानते हैं। शास्त्रीजी ने कहा था “सारे जहॉं से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा’ क्योंकि हमारे धार्मिक ग्रंथ विदेशों में पढ़े जाते हैं। हमारे देश में कोई छोटा या बड़ा नहीं है। हम उन पूर्वजों के वंशज हैं जिन्होंने हमें अपनी धर्ती मॉं के सामने सिर झुकाना सिखाया हैं। अगर आपसे कोई गलती हो जाए तो माफी मांगने में समय न लगाएं क्योंकि एक झूठ को पचाने के लिए 100 झूठ बोलने पड़ते हैं और भारतीय संस्कृति में झूठ बोलने से बड़ा कोई पाप नहीं है।
इस अवसर पर मित्रता की बात करते हुए शास्त्रीजी ने श्रीकृष्ण और सुदामा के बारे में बताया। उनकी मित्रता में सुदामा विरक्ती के प्रतीक है। श्रीमद्भागवत महापुराण में सुदामाजी का नाम नहीं लिखा है। लेकिन उनके गुणों का वर्णन करते हुए ऋषि शुकदेव ने यह कथा राजा परीक्षित को सुनाई। इसमें उन्होंने दो मित्र कैसे मित्र होते हैं, एक रंक मित्र और एक राजा, इसका वर्णन करते हुए सुदामाजी और कृष्णजी के मिलन के वर्णन का विश्लेषण करते हुए “अजितो जीतो हम’ का उल्लेख करते हुए कहा है कि जिसे कोई नहीं जीत सकता वह मैं करत सकता हूं ऐसा विचार रखो। जीवन में सेवा के लिए तत्पर रहें। आपको कोई प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपकी सेवा स्वचालित रूप से हो जाएगी।
कल 15 अगस्त को नांदेड़ से इस भागवत कथा महोत्सव में कथा सुनने के लिए रामप्रसाद चोटिया, संतोषी चोटिया, गोपीकिशन पीपलवा, दीपक बढ़ाढरा और वास्तव न्यूज लाईव्ह के संपादक कंथक सूर्यतल चिखली गए थे। पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का आज समापन हो रहा है।

चिखली मे हुए भागवत कथा के समारोह को यशस्वी बनाने में चिखली जिल्हा बुलढाणा के खंडेलवाल समाज का परिश्रम महत्वपूर्ण है.

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