यह सब तस्वीरें गोपाल के फेसबुक पेज से ली गई है!

मेरा गोपीकिशन, मेरा गोपाल, या मेरा गोपी, नाम कुछ भी हो, अपने रिश्ते का दिल से ज्यादा ख्याल रखने वाली गोपी 30 जनवरी को हमें छोड़कर चली गया। उसकी जिंदगी की किताब में जन्म और मृत्यु के सिर्फ दो पन्ने लिखे थे। लेकिन उसने उस किताब के बाकी सभी पन्नों को बेहद खूबसूरत तरीके से इंद्रधनुषी रंगों में रंगकर हमारे पास छोड़ दिया। हम उस रंगीन जीवन की किताब की याद में जीना चाहते हैं। लेकिन दुख इतना निश्चित है कि पिछले कुछ दिनों से गोपाल के मन में जो तूफ़ान चल रहा था, वह तुमने मुझे नहीं बताया। क्या मेरे साथ कुछ गड़बड़ थी? क्या मैं उस तूफ़ान को शांत नहीं कर सकता था? लेकिन मुझे तुने एक मोका देणा चाहिऐ था। क्यो की, आज डबडबाई आंखों से यह लिखने की जरूरत नहीं होती। मेरा भाई चला गया लेकिन मैं शब्दों के माध्यम से सभी को संबोधित कर रहा हूं।’ जैसा उसने मुझे देखा, वैसा ही उसने मेरा वर्णन किया होगा। हालॉंकि, यह लिखे बिना मेरे मन में चल रहा तूफ़ान बाहर नहीं आएगा।
गोपाल का जन्म 11 जून 1973 को रामघाट क्षेत्र में रहने वाले श्री देवकरणजी एवं श्रीमती भागीरथीजी के परिवार में हुआ। एक तरफ गोशाला और दूसरी तरफ कई घरों के साथ एक घर गोपाल का था जहा गोपाल बड़े हुए हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान चौथी कक्षा से डॉ.राजेश चव्हाण और उनकी बहन आपके दोस्त बन गए। वर्ष 24-25 में गाडीपुरा हनुमान मंदिर के महंत श्री जगदीशजी महाराज के अनुरोध पर शिवा फर्टिलाइजर्स ने आपको अपनी कंपनी में नौकरी की पेशकश की। धीरे-धीरे आपने छोटेसे पद से आगे बढ़ते हुए, गोपालने आपने अपने सामने आए हर अवसर का लाभ उठाया और कंपनी के डिविजनल सेल्स मैनेजर बन गए। आपने जो रिश्ते कमाए हैं वे इतने महान हैं कि आपके जाने के बाद हम कुछ लोगों को जानते हैं और कुछ को नहीं, आपके परिवार को सांत्वना देने आई भीड़ को देखकर मेैने भी सोचा कि इतने ही लोग मेरे देहांत के बाद मेरे घर आएं। आज शिवा फर्टिलाइजर्स भी आपका विकल्प ढूंढने में संघर्षरत होगा। इस दुनिया में किसी का कुछ भी किसी की वजह से नही रुकता फिरभी शिव फर्टिलाइजर्स और निजी व्यक्तियों के साथ गोपलने बिताया गया कार्यकाल अविस्मरणीय है। हर घाव कुछ समय बाद ठीक हो जाता है लेकिन जो तुमने हम सबको दिया वह घाव इतनी जल्दी ठीक नहीं होगा।
1998 में गोपाल का विवाह हैदराबाद के श्री नटवरलालजी की पुत्री सीमा से हुआ। यह भी उन्ही पत्रों के घर में ही रही। वह सिमा इस बात पर ध्यान दे रही थी कि कैसे उस जगह की समस्याओं और जिम्मेदारियों को पूरी तरह से समझकर परिवार के जीवन को बेहतर बनाया जाए। दो बेटियां और तीसरा बेटा कुणाल तुम दोनों की फुलवारी में खुशबू फैलाने आऐ। आपके दो बड़े भाई भी लगभग आपकी ही उम्र में दुनिया छोड़ गये। इसके बाद आपने एक भाई की दो बेटियों की शादी करवाई। तुम्हारे जाने के बाद जब वो दोनों आये तो उनका आक्रोश दिल दहला देने वाली थीं. आपके अंतिम संस्कार के समय और तीसरे दिन के संस्कार के समय अनेक लोग कह रह थे की,अब हमारे पिता जी नहीं रहे। उनकी आंखों से आंसू नहीं रुके। ये आपकी कमाई हुई दौलत है। जिस तरह परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद उसका बेटा परिवार का मुखिया बनता है, उसी तरह अब 12वें दिन कुणाल को परिवार का मुखिया समाज के समक्ष बनाया जाएगा। मैंने अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों से अनुरोध किया है कि जितना प्यार आपने गोपाल को दिया है उतना ही प्यार कुणाल को भी दें। मैं खुद इसकी रीढ़ बनूंगा।
दूसरों के बारे में अधिक सोचने के पीछे अपना दिमाग लगाने के आपके रवैये से हम भी प्रेरित हुए। लेकिन जीवन में अच्छी और बुरी परिस्थितियॉं आती रहती हैं। आपके जीवन में भी ऐसा हुआ. जिनके लिए आप एक इंसान थे, लेकिन आपने उन्हें अपना सब कुछ माना, आपने गलती की। कोई किसी की अंतरआत्मा की भावनाओं को नहीं जान सकता। हम जो बोलते हैं वो शब्द हैं, जो बोला नहीं जा सकता वो भावनाएँ होती है और जो व्यक्त नहीं किया जा सकता वो दुःख है। ऐसे अनेक दुःख गोपाल को आये। आपके मन में तूफ़ान चल रहा था क्योंकि आप इसके बारे में किसी को बता नहीं पा रहे थे।
कुछ लोगों ने आपको गालियां भी दीं. जब आपकी पुत्रियों का विवाह पुत्रीयों की इच्छानुसार हो गया तो आपने शपथ ली कि मैं मरते दम तक इन दोनों को अपने घर में प्रवेश नहीं करने दूँगा। और यह गोपालने सच कर दिया। इस घटना क्रम को भूलकर जब आप अपने जीवन की गाड़ी चला रहे थे तो जब आप नांदेड़ खंडेलवाल समाज के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़े तो आप पर आपत्ति जताई गई कि आपका अनुभव क्या है। उससे पहले उस चुनाव में एक महीने तक प्रचार करते हुए आपको अध्यक्ष न बनने का विरोध किया गया था, यह कहकर कि जो आपनी बेटीयों को नही संभाल सकता वह समाज का अध्यक्ष कैसे हो सकता है।
एक बार मेरा एक और बेटा पुलिस हिरासत में था और गोपलने व्हाट्सएप पर जो शब्द लिखे थे, उन्हें किसी महामूर्ख ने चुना और उस पर बेटी पढ़ाव-बेटी बचाओ ऐसे शब्द लिखे। ऐसा क्यों लिखा गया? यह बात गोपल के घर में घटी घटनाओं के सिलसिले में भी सामने आई थी। आप इस मूर्खता पर आक्रामक प्रतिक्रिया दिये बिना शांत रहे। तुमने मेरे सामने आकर बोलो ऐसा प्रस्ताव रखा था। लेकिन उन महामुर्खांे में इतनी हिम्मत नहीं थी। लेकिन ऐसी बहुत सी चीजें हुईं और आपके मनको वो बाते खोकली बनाती रही।
मुझे इस बात का खेद है कि आपने मुझे उस षडयंत्र का खुलासा नहीं किया, जिसे आपने 30 जनवरी से आठ दिन पहले नोटिस किया था। क्या तुम्हें विश्वास नहीं था कि मैं क्या कर सकता था, गोपाल? वैसे भी, गोपाल आज यहां नहीं हैं, लेकिन मैं इतना स्पष्ट रूप से लिखना चाहता हूं कि जब आपके करीबी लोग आपसे कुछ छिपाने लगें, तो आप समझ जाईऐ कि कोई खतरनाक कदम उठाया जा रहा है। कुणाल इसका हिसाब देगा कि इस साजिश में कौन शामिल था। लेकिन हम उसे बिना कोई अपराध किए ऐसा करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे।
मेरा भाई गोपी चला गया, जिंदगी लोगों को नहीं रुलाती रुलाते वह लोग है जिनको हम अपना सर्वस्व मान बैठे है। ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। पर गोपाल कोई चिठ्ठी लिख जाता तो जरुर कुछ करते। लेकिन घटनाक्रम के दौरान इस बात का जिक्र जरूर करना चाहिए कि जिस एजेंट ने आपकी एलआईसी की एक किस्त में हजारो रुपये कमीशन प्राप्त किया उसने एक किस्तकी 32 हजार रकम देने से इनकार कर दिया, वह कमिशन के बारे में भूल गया था। गोपाल उसको 32 हजार भरने के लिऐ बोलने के बजाऍ आप पर प्रेम करनेवाले किसीको भी आप बोलते तो आप के घर के सामने 32 हजार रुपये लेकर लाईन लग जाती। ऐसा अगर होता तो आज कुणाल को 25 लाख रुपये मिले होते। यह बात पैसे के बारे में नहीं है, यह दृष्टिकोण के बारे में है। जिससे यह क्षति हुई है. आप तो नहीं रहे लेकिन ये 25 लाख कुणाल के लिए अगले जीवन को सुंदर बनाने में मदत जरूर करते।
गोपाल ने अपने फेसबुक पेजपर कई खास शब्दोें के साथ अपने फोटो प्रसारीत किये थे। उन शब्दों में भी गोपाल का दर्द झलकता है। पर मे मुर्ख उस दर्द को समझ नहीं पाया। इसका मुझे बहुत दु:ख है। गोपालने अपने जीवन काल में कई सुंदर चिजे की। जिसमे रामनवमी के श्री रामजी के शोभा यात्रा में गोपाल राम बनता था और सिमा सिता बनती थी। अनेक शादी समारोहों मे गोपाल ने किये हुये नृत्य भी मैं भुल नही पाया हु। एक शादी में घुड सवारी करते हुये घोडेने आपने सामने के पैर चार फुट उचे उठाये थे वह गोपल की छबी मै भुल नहीं पाऊंगा।
हालॉंकि हमारा शब्द प्रपंच गोपाल के बारे में है, मैं पाठकों से भी यह भी अनुरोध करना चाहुंगा कि आपके मन में जो तूफ़ान हैं, उन्हें दबाने के बजाय उन्हें योग्य व्यक्ती के पास व्यक्त करें। क्योंकि कहा जाता है कि दुख व्यक्त करने से दुख कम हो जाता है। कहते हैं हालात बदलने के साथ लोग भी बदल जाते हैं। लेकिन गोपाल का सम्मान करनेवालों की संख्या देखने के बाद, मुझे उम्मीद है कि वे कुणाल को भी उतना ही प्यार करते रहेंगे।
-रामप्रसाद खंडेलवाल
